शनिवार, 29 जुलाई 2017

Pujay bapu life sktech


पूज्य संत श्री आसाराम जी बापू जी के जीवन वृत पर आधारित आशारामायण व अन्य सत्संग से यह जीवन वृत्त का प्रयास है
पूज्यश्री के पिताजी भ्राता में अनुज थे उनका परिवार
पाकिस्तान के नवाब जिले के बेरानी में रहता
सिंध का एक जिला जो अखण्ड भारत में था जब बंगलादेश पाकिस्तान कश्मीर का पूरा हिस्सा भारत मे था  उन दिनों पिता काफी समृद्ध परिवार था उस ज़माने
600 एकड़ जमीन थी  जायदाद भी पशुधन भी पर स्वभाव संत सेवी था औऱ जब कभी अन्न वस्त्र गो धन
दूध  चंच का भंडार चलता रहता सन्त सेवा चलती
रहती  यथा पूर्व मे पता यह था कि पूज्य श्री का
जन्म वैशाख छट को 1998 को हुए पर पुराने जन
बाद में मिले तो वे कहते कि जन्म 1994 को हुआ
पर वैशाख छ ट को हुआ यह सर्वमान्य है
उन दिनों जन्म के पूर्व कोई सौदागर आया  बडा झूला बोला बोला
मुजे भगवान की प्रेरणा हुई  यंहा कोई उच्च आत्मा  जन्म लेने को है  इसलिए लें आया श्री थाऊमल जी बोले कि हम दान लेते नही कैसे रखे
तब खूब निवेदन किया तो रख लिया झूला खूब बड़ा था
पुरपरिवार विराजे और सुन्दर।
अस्तु  वैशाख छ ट को माताजी भण्डारे मैं लगी थीं प्रसव पीड़ा थी और सेवा भी वे धेर्य रख सेवा करती रही
12 के कुछ समय पूर्व सब कार्य निपटा और 12:00 पर पूज्य  श्री का जन्म हुआ माता श्री के शब्दों में बालक
खुब तेजस्वी था लाल लाल मुख मुस्कुरा रहा था
यथा बधाई बजने लगी पूरा ग्राम इकट्ठा हो गया
उन्हें कुछ बधाई आज भी याद है
जिनमे एक है
लाला लाल चमके लला लाल चमके
दुनिया मे दमके
लाल लाल चमके लाल लाल चमके
सारा जंहा मे महके इसी तरह आगे की कड़ी
खूब भंडारे हुए इसमें कोई बात नही
कुछ घटना क्रम कहते कि पूज्य श्री के कई अवतार
के बाद का यह अवतार है अस्तु
झुले की सेवा स्वीकार हो गई कि
यथाउस समय भारत के विभाजन की आहट सुनाई
देति पहले यू की भारत छोड़ो व सुभास चन्द्रबोस
की आज़ाद हिंद फौज के संघर्ष से नोसनिक विद्रोह हो2 आ आजादी की ख़ुशी विभाजन के बीच मिली
सिंध के हिन्दू अपनी संपत्ति छोड़ के भारत मे आ गए
उस नवाब से गुजरात पास था तो परिवार गुजरात
आ गया कुछ सम्बधी अहमदाबाद कुछ आस पास  नगर मे रहने लगे अस्तु पिताजी शक्कर का व्यवसाय शुरू किया किराने की दुकान थी
उन्हें मणिनगर के जयहिंद माध्यमिक विद्यालय
में भ प्रवेश दिल्या गया
उन दिनों जब बापू जी घर मे आसुमल के नाम से जाने जाते हंसते रहने के कारण हंसमुख भाई कहते
जब पूज्य श्री विद्यालय गए तब उनका तेजस्विता देख सी शिक्षक आश्चर्य चकित हुएऔर खड़े हो गए
अनडू बड़े भाई जी जेठानंद भी पड़ते उनसे कोई कविता पूछी उन्हें नही बनी पर बपु जी बिना देखे पूरी
कविता सुना दी जिससे उनकी विलक्षण प्रतिभा पता
Chli  चली।मातु ध्यान में रुचि देख उन्हें कहति की  कन्हैया जी  माखन मिश्रि रख जाते हैं   आँख खोलने पर माखन मिश्रि मिलती इस प्रकार सोचते कि भगवान रख जाते इस भाव से प्रेम बड़ गया गहरे ध्यान में चले उन
ई|बचपन मे विद्यालय में मस्ती नही करते चंचलता नही थी समय होता खाने की छुट्टी का तो
कंही वट के नीचे या एकांत में ध्यान मे डुब जाते
यथा